कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई ‘राम लला’ की मूर्ति अयोध्या में भव्य राम मंदिर की शोभा बढ़ाएगी। भगवान राम की मूर्ति बनाकर सुर्खियों में आए योगीराज अरुण मैसूर के रहने वाले हैं। वह प्रसिद्ध मूर्तिकारों की पांच पीढ़ियों के वंश से आने वाले एक प्रतिष्ठित मूर्तिकार हैं। राम मंदिर में योगीराज अरुण द्वारा बनाई गई मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा में स्थापित की जाएगी। इसके बाद केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी से लेकर राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने योगीराज अरुण को बधाई दी है।
कौन हैं अरुण योगीराज?
अरुण योगीराज वर्तमान में देश में सबसे अधिक डिमांड वाले मूर्तिकारों में से एक हैं। उन्होंने काफी कम उम्र में मूर्तिकला की दुनिया में कदम रखा था। अब तक वे काफी बड़ी-बड़ी हस्तियों की मूर्तियां बना चुके हैं। उनकी ही बनाई गई नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति दिल्ली में स्थापित की गई थी। योगीराज अरुण अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी में मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने अपने अपने पिता, दादा, बसवन्ना से प्रभावित होकर इस क्षेत्र में कदम रखा था। योगीराज अरुण के पूर्वज मैसरू में राजा के समय से इस काम को कर रहे हैं।
देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी अरुण की प्रतिभा की सराहना कर चुके हैं। जब अवसरों के कुशल उपयोग की बात आती है तो अरुण उद्यमशील है। इस तरह उनकी कला की मांग देश के विभिन्न राज्यों में पैदा हो गई है।
अरुण के पिता योगीराज भी एक कुशल मूर्तिकार हैं। उनके दादा बसवन्ना शिल्पी को मैसूर के राजा का संरक्षण प्राप्त था। इसी पीढ़ी से ताल्लुक रखने वाले अरुण योगीराज भी बचपन से ही नक्काशी के काम से जुड़े रहे। एमबीए पूरा करने के बाद उन्होंने कुछ समय तक एक निजी कंपनी में काम किया। लेकिन वह मूर्तिकला पेशे के कौशल से बच नहीं सके जो कि उनमें जन्मजात था। इस प्रकार, 2008 से, उन्होंने अपना नक्काशी करियर जारी रखा है।
Glad to have met @yogiraj_arun today. Grateful to him for sharing this exceptional sculpture of Netaji Bose. pic.twitter.com/DeWVdJ6XiU
— Narendra Modi (@narendramodi) April 5, 2022
सुभाष चंद्र बोस की 28 फीट की मूर्ति
इंडिया गेट के पीछे अमर जवान ज्योति के पीछे भव्य छत्र में अरुण द्वारा तैयार की गई सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की मूर्ति आकर्षण का केंद्र है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती से पहले, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा थी कि स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान का सम्मान करने के लिए इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक प्रतिमा स्थापित की जाए, जिसका अरुण योगीराज ने भी समर्थन किया था। इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री को सुभाष चंद्र बोस की दो फीट ऊंची प्रतिमा भी भेंट की और उनकी सराहना हासिल की.
Nethaji and the raising sun PC by @RubalPadaliya 🙏🏾🙏🏾 pic.twitter.com/RV2SdYEygU
— Arun Yogiraj (@yogiraj_arun) January 22, 2023
21 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा
इससे पहले अरुण योगीराज ने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची प्रतिमा भी बनाई थी। मैसूर जिले के चुंचनकट्टे में 21 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा, संविधान निर्माता डॉ. बीआर अंबेडकर की 15 फीट ऊंची मूर्ति, मैसूर में स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद अमृतशिला प्रतिमा, नंदी की छह फीट ऊंची अखंड मूर्ति, बनशंकरी देवी की छह फीट ऊंची मूर्ति मैसूर के राजा जयचामाराजेंद्र वोडेयार की 14.5 फीट ऊंची सफेद अमृतशिला प्रतिमा और कई अन्य प्रतिमाएं अरुण योगीराज के हाथों पुष्पित हुई हैं। अरुण को पहले भी कई संस्थाएं सम्मानित कर चुकी हैं। मैसूर के शाही परिवार ने भी उनके योगदान के लिए विशेष सम्मान दिया।
One of my work Adi Shankaracharya stone sculpture inaugurated by prime minister Narendra Modi ….. thanks everyone for your support…..#Kedarnath #AdiShankaracharya #india #Karnataka #mysore pic.twitter.com/uu96djpm6E
— Arun Yogiraj (@yogiraj_arun) November 6, 2021
एमबीए की पढ़ाई और नौकरी भी
योगीराज अरुण मूर्तियों में जान डाल देते हैं। ताज्जुब की बात यह है कि वह थोड़े समय के लिए एमबीए करने के बाद कॉरपोरेट क्षेत्र में नौकरी भी कर चुके हैं। इसके बाद मूर्तिकला में झंडे गाड़ रहे हैं। योगीराज अरुण ने एक इंटरव्यू में बताया था कि मूर्तियाें में लगा ही नहीं उन्हें 2008 में कला के क्षेत्र में वापस खींच लाया था। योगीराज अरुण देश के सबसे ज्यादा व्यस्त मूर्तिकारों में से एक हैं। अरुण के पोर्टफोलियो में प्रभावशाली मूर्तियों की एक श्रृंखला है। इनमें सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की मूर्ति भी शामिल है। जो इंडिया गेट के पास अमर जवान ज्योति के पीछे प्रमुखता लगी है। मूर्तिकला की दुनिया में उनके अन्य उल्लेखनीय योगदानों में केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची मूर्ति से लेकर मैसूर में 21 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा शामिल है।
सम्मान
- संयुक्त राष्ट्र संगठन के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान द्वारा कार्यशाला की यात्रा और व्यक्तिगत प्रशंसा।
- 2020 में मैसूर जिला प्रशासन द्वारा Nalwadi पुरस्कार।
- 2021 में कर्नाटक के क्राफ्ट्स काउंसिल द्वारा सम्माननीय सदस्यता।
- 2014 में भारत सरकार द्वारा South Zone Young Talented Artist पुरस्कार।
- स्कल्प्टर्स एसोसिएशन द्वारा Shilpa Kousthubha।
- मैसूरु जिला प्राधिकारी द्वारा Rajyothsava पुरस्कार।
- कर्नाटक राज्य के माननीय मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित।
- मैसूरु जिले के स्पोर्ट्स अकादमी द्वारा सम्मानित।
- AmaraShilpi Jakanacharya ट्रस्ट द्वारा सम्मानित।
- राज्य और राष्ट्रीय स्तर के स्कल्प्चर कैम्प्स में भाग लिया।
आयोगों द्वारा चयन:
- भारत सरकार, दिल्ली के इंडिया गेट के लिए श्री सुभाष चंद्र बोस की 28 फीट की एक मोनोलिथिक काले ग्रेनाइट पत्थर से बनी मूर्ति।
- चुंचुनकट्टे, के.आर. नगर के लिए हनुमान होयसला शैली की 21 फीट की मोनोलिथिक पत्थर से बनी मूर्ति।
- केदारनाथ, उत्तराखंड के लिए आदि शंकराचार्य की 12 फीट की मोनोलिथिक मूर्ति।
- मैसूर के डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की 15 फीट की मोनोलिथिक सफेद संगमरमर की मूर्ति।
- मैसूर में भारत की सबसे बड़ी 10 फीट की मोनोलिथिक सफेद संगमरमर की मूर्ति श्री रामकृष्ण परमहंस की।
- मैसूर में महाराजा जयचमराजेंद्र वोडेयर की 15 फीट की मोनोलिथिक सफेद संगमरमर की मूर्ति।
- मैसूर विश्वविद्यालय में ‘सृष्टि की सृष्टि’ नामक संदर्भ में बनी 11 फीट की मोनोलिथिक मॉडर्न आर्ट स्टोन की मूर्ति।
- बैंगलोर के इसरो में श्री यू.आर. राव की कांस्य मूर्ति।
- मैसूर में भगवान गरुड़ की 5 फीट की मूर्ति।
- के.आर. नगर में भगवान योगनरसिम्हा स्वामी की 7 फीट ऊंची मूर्ति।
- सर म. विश्वेश्वरैया की कई मूर्तियां।
- श्री डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की कई मूर्तियां।
- विभिन्न मंदिरों में स्थापित भगवान पंचमुखी गणेश, भगवान महाविष्णु, भगवान बुद्ध, नंदी, स्वामी शिवबाला योगी, स्वामी शिवकुमार, और देवी बनाशंकरी की मूर्तियां।
- हैंड कार्व्ड मंटेप, विभिन्न पत्थर के स्तंभ कार्य और बहुत कुछ।